शहद और घी का एक साथ सेवन जहर के समान हो सकता है हानिकारक , कुछ उपायों से बनाया जा सकता है असरदार ।
शहद और घी का एक साथ सेवन जहर के समान हो सकता है हानिकारक , कुछ उपायों से बनाया जा सकता है असरदार ।
हेल्थ कार्नर :- मैंने बड़े -बुजुर्गों से सुना है - शहद और घी को एक साथ खाना जहर के समान है । हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति भी यही कहती है । ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनों मिलकर शरीर में विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं , जिसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
शहद और घी के गुणों का सही अनुपात और सही परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जाए तो ये शरीर के लिए अमृत बन जाते हैं । लेकिन, अगर इन्हें बराबर मात्रा में एक साथ लिया जाए तो ये ज़हरीले भी हो सकते हैं । चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में इसका वर्णन किया गया है । प्राचीन ग्रंथों के अनुसार , अगर इन्हें बराबर मात्रा में या गलत समय पर लिया जाए तो ये शरीर में 'अमा' बनाते हैं , जो कई बीमारियों का कारण बनता है ।
चरक संहिता के अनुसार , शहद और घी दोनों ही अत्यधिक पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं , लेकिन जब इन्हें बराबर मात्रा में मिलाया जाता है , तो ये एक- दूसरे के गुणों को संतुलित करने के बजाय विपरीत प्रभाव पैदा कर सकते हैं । खाली पेट या अत्यधिक मात्रा में इस मिश्रण का सेवन करने से पाचन संबंधी गड़बड़ी, सुस्ती, वजन बढ़ना और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं ।
चरक संहिता में इन दोनों सामग्रियों को एक तीसरे पदार्थ के साथ मिलाकर उपयोग करने का सुझाव दिया गया है । सुश्रुत संहिता में शहद और घी के मिश्रण को लेकर भी चेतावनी दी गई है । आयुर्वेद भी इन दोनों के मिश्रण को अमृत के समान मानता है , बशर्ते कि इसे उचित मात्रा में और सही समय पर लिया जाए । उदाहरण के लिए , अगर शहद और घी के मिश्रण को गर्म या उबलते दूध, चाय, मांस-मछली, मूली के साथ खाया जाए , तो यह शरीर के लिए जहरीला साबित हो सकता है ।
शहद को नींबू, दालचीनी, अदरक, लहसुन या गर्म पानी के साथ मिलाकर सेवन करने से विभिन्न रोगों से सुरक्षा मिलती है , पाचन में सुधार होता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायता मिलती है ।
अगर घी को हल्दी, तुलसी, कपूर या दालचीनी जैसी औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियों के साथ मिलाया जाए , तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं । आयुर्वेद के अनुसार , यह भी कहा जाता है कि हल्दी के साथ घी का संयोजन वजन कम करने , नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण , हृदय स्वास्थ्य में सुधार और गुर्दे की कार्यप्रणाली को बढ़ाने में मदद करता है ।
तुलसी के साथ घी का सेवन करने से शरीर को आवश्यक विटामिन और खनिज मिलते हैं , मानसिक तनाव कम होता है और पाचन क्रिया बेहतर होती है । कपूर और दालचीनी के साथ घी का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और पाचन संबंधी विकारों को रोकने में मदद मिलती है । आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार, इन संयोजनों को ' अमृत' के समान माना जाता है , जो न केवल शरीर में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है बल्कि विभिन्न रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है ।
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